Learn sanskrit easily Lesson -05

 


In this article we practice some more shlokas to increase vocal practice of Sanskrit. Keep trying shlokas everyday. Daily practice of writing will be more effective. Don't skip practicing.

Conversation between krishna and arjuna. 

1🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


अर्जुन उवाच

दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्।।२८।।

सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।

वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च  जायते।।२९।।


             🌻 भावार्थ 🌻


अर्जुन बोले -हे कृष्ण ! युद्धक्षेत्रमें डटे हुए युद्धके अभिलाषी इस स्वजनसमुदायको देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे है और मुख सुखा जा रहा है तथा मेरे शरीरममें कम्प एवं रोमाञ्च हो रहा है।


2.

🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चैव परिदह्यते।

न च शन्कोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः।।३०।।


             🌻 भावार्थ 🌻


तथा- हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जलरही है तथा मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है, इसलिये (मैं) खड़ा रहनेको भी समर्थ नहीं हूँ।




3.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव।

न च श्रेयोनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।३१।।


             🌻 भावार्थ 🌻


और- हे केशव! (मैं) लक्षणोंको भी विपरीत ही देख रहा हूँ (तथा) युद्धमें स्वजन-समुदायको मारकर कल्याण भी नहीं देखता।



4.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत-  🗣 🗣


न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।

किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा ।।३२।।


               🌻 भावार्थ 🌻


और - हे कृष्ण! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को । हे गोविन्द! हमें (ऐसे) राज्यसे क्या प्रयोजन है अथवा (ऐसे) भोगों से  और जीवन से (भी) क्या लाभ है ?


5.

🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चैव परिदह्यते।

न च शन्कोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः।।३०।।


             🌻 भावार्थ 🌻


तथा- हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जलरही है तथा मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है, इसलिये (मैं) खड़ा रहनेको भी समर्थ नहीं ह



🌹आपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं🌹



6.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव।

न च श्रेयोनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।३१।।


             🌻 भावार्थ 🌻


और- हे केशव! (मैं) लक्षणोंको भी विपरीत ही देख रहा हूँ (तथा) युद्धमें स्वजन-समुदायको मारकर कल्याण भी नहीं देखता।



7.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत-  🗣 🗣


न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।

किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा ।।३२।।


               🌻 भावार्थ 🌻


और - हे कृष्ण! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को । हे गोविन्द! हमें (ऐसे) राज्यसे क्या प्रयोजन है अथवा (ऐसे) भोगों से  और जीवन से (भी) क्या लाभ है ?



8.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


येषामर्थे कांक्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च।

त इमेवस्थिता युद्धे प्रणांस्त्यक्तवा धनानि च।।३३।।


              🌻 भावार्थ 🌻


क्योंकि - हमें जिनके लिये राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं, वे (ही) ये सब धन और जीवन की आशा को त्यागकर युद्ध में खड़े हैं।



9.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


अाचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः।

मातुलाः श्वशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बान्धिनस्तथा ।।३४।।


              🌻भावार्थ🌻


जो कि- गुरुजन ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा (और भी) सम्बन्धी लोग (है)।



10.

🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोपि मधुसूदन।

अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतोः किं नु महीकृते ।।३५।।


               🌻भावार्थ🌻


इसलिये- हे मधुसूदन! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिये भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिये तो कहना ही क्या है ?


11.

🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चैव परिदह्यते।

न च शन्कोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः।।३०।।


             🌻 भावार्थ 🌻


तथा- हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जलरही है तथा मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है, इसलिये (मैं) खड़ा रहनेको भी समर्थ नहीं हूँ।




🌹आपको सपरिवार होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं🌹



12.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत - 🗣 🗣


निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव।

न च श्रेयोनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।३१।।


             🌻 भावार्थ 🌻


और- हे केशव! (मैं) लक्षणोंको भी विपरीत ही देख रहा हूँ (तथा) युद्धमें स्वजन-समुदायको मारकर कल्याण भी नहीं देखता।



13.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत-  🗣 🗣


न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।

किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा ।।३२।।


               🌻 भावार्थ 🌻


और - हे कृष्ण! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को । हे गोविन्द! हमें (ऐसे) राज्यसे क्या प्रयोजन है अथवा (ऐसे) भोगों से  और जीवन से (भी) क्या लाभ है ?



14.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


येषामर्थे कांक्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च।

त इमेवस्थिता युद्धे प्रणांस्त्यक्तवा धनानि च।।३३।।


              🌻 भावार्थ 🌻


क्योंकि - हमें जिनके लिये राज्य, भोग और सुखादि अभीष्ट हैं, वे (ही) ये सब धन और जीवन की आशा को त्यागकर युद्ध में खड़े हैं।



15.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


अाचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः।

मातुलाः श्वशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बान्धिनस्तथा ।।३४।।


              🌻भावार्थ🌻


जो कि- गुरुजन ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा (और भी) सम्बन्धी लोग (है)।



16.

🌻अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोपि मधुसूदन।

अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतोः किं नु महीकृते ।।३५।।


               🌻भावार्थ🌻


इसलिये- हे मधुसूदन! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिये भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिये तो कहना ही क्या है ?



17.

🌻 अधः लिखित श्लोकं उच्चारणं प्रयास कुरुत- 🗣 🗣


निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन।

पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः ।।३६।।


             🌻 भावार्थ 🌻


हे जनार्दन! धृतराष्ट्रके पुत्रोंको मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी ? इन आततायियोंको मारकर (तो) हमें पाप ही लगेगा।

Practice these shlokas everyday two times along with writing them into a copy.

I hope you enjoy this article, If you have  any query you can comment on this article in the below comment box. 

😊😊😊Have a good day😊😊😊

Post a Comment

0 Comments